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Showing posts from August, 2017

हरिशंकर परसाई

आज है 22 अगस्त यानि की हरिशंकर परसाई जी का जन्मदिन | परसाई जी ने मात्र व्यंग्य को विधा के रूप में ही पहचान नहीं दिलाई बल्कि असल में एक सम्पूर्ण 'व्यंग्य' क्या होता है उससे हमे परिचित कराया | परसाई जी का लगभग पूरा साहित्य चाहे वह कविता हो, कहानी हो, निबन्ध हो, उपन्यास हो या व्यंग्य विधा हो सब में समाज की विसंगतियों पर प्रहार करता दिखाई देता है | सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक व्यवस्थाओं में जकड़े आम जन-मानस के यथार्थ को बहुत ही गम्भीरता से परसाई जी अलग-अलग विधा में अपनी बात कहते है | परसाई जी की हास्य से भरी बातें भी ह्रदय में एक गम्भीर प्रहार करती है और हमे सोचने पर मजबूर करती है |  इस अवसर पर पढ़ते है 'हास्य व्यंग'- 'भारत को चाहिए जादूगर और साधु' और कूड़ा-करकट टीम की और से परसाई जी और इनके साहित्य को सलाम जिसकी वजह से इनको आज भी याद किया और पढ़ा जाता है |  'भारत को चाहिए जादूगर और साधु'   हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को मैं सोचता हूँ कि साल-भर में कितने बढ़े। न सोचूँ तो भी काम चलेगा - बल्कि ज्यादा आराम से चलेगा। सोचना एक रोग है, जो इस रोग से मुक्त हैं

●भीष्म साहनी- मानवीय संवेदना के सशक्त साहित्यकार●

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आज है 8 अगस्त यानी बहु आयामी व्यक्तित्व से सराबोर,ज़िंदादिल, खुशमिज़ाज़ बहुमुखी प्रतिभा से ओत-प्रोत तथा मानवीय पहलुओं से सरोकार रखने वाले कहानीकार,नाटककार,उपन्यासकार,रंगकर्मी और अनुवादक भीष्म साहनी का जन्मदिवस। सबसे पहले कूड़ा-करकट ब्लॉग समूह की ओर से जन्मदिवस के इस सुअवसर पर भीष्म साहनी को नमन। जैसा की आप सभी इस बात से भली-भाँती परिचित हैं की कूड़ा-करकट ब्लॉग समूह साहित्य,कला और संस्कृति से सम्बंधित सभी प्रमुख व्यक्तियों के जन्मदिवस और पुण्यतिथि के अवसर पर उनको अपने तर स्मरण करता है और आप सभी के लिए उनसे सम्बंधित अर्थात उनके द्वारा रचित मुख्य सामग्री को आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता है। तो आइए इस कड़ी में हमारे साथ और जन्मदिवस के इस अवसर पर आनंद लीजिए भीष्म साहनी द्वारा लिखित ' खून का रिश्ता 'नामक कहानी का और देखिए भीष्म साहनी से सम्बंधित कुछ चित्र जिनको संवारा है हमारे ही साथी आमिर विद्यार्थी ने-       खून का रिश्ता (भीष्म साहनी) खाट की पाटी पर बैठा चाचा मंगलसेन हाथ में चिलम थामे सपने देख रहा था। उसने देखा कि वह समधियों के घर

रबिन्द्रनाथ टैगोर

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रबिन्द्रनाथ टैगोर एक ऐसे व्यक्त्तिव थे जिन्हें शायद ही कभी कोई भूल सकता हो और न ही भुलाए जा सकते है | ये अकेले ऐसे व्यक्ति थे जिनकी लिखी रचनाएँ  दो देशों का राष्ट्रगान है | कवि, चित्रकार, संगीतकार, साहित्यकार, दार्शनिक आदि रूप में हमे इनकी पहचान मिलती है | ऐसे प्रतिभासंपन्न व्यक्त्तिव को कूड़ा-करकट टीम की ओर से इनकी पुण्यतिथि पर नमन ||