गैब्रियल गार्सिया मार्खेज कोलंबिया के नोबल पुरस्कार प्राप्त लेखक थे जिनका विगत 17 अप्रैल 2014 निधन हो गया। स्पेनी भाषा में लिखने वाले मार्खेज के लेखन को जादुई यथार्थवाद के नाम से जाना जाता है पर जादुई शब्द का अर्थ यह नहीं है कि वह सचमुच किसी भ्रमजाल को खड़ा करते थे जैसा कि जादू शब्द से ध्वनित होता है। या वह जादू के नाम पर कौतुकपूर्ण गतिविधियों व क्षणिक मनोरंजन का सहारा लेते थे। इसका अर्थ यह था कि वह वास्तविकता को परिचित कराने के लिए यानी सत्य पर छाए भ्रमजाल को छिन्न-भिन्न करने के लिए अपने देश के लोकविश्वासों , अतिकथनों और जन मान्यताओं का प्रयोग करते थे। इसमें समय की एकरेखीय नहीं बल्कि चक्रीय प्रवृत्ति , घटनाओं का सृजनात्मक दोहराव , चरित्रों की हैरतअंगेज समानता या पहेलीनुमा वर्णनों का उपयोग करके भी जटिल यथार्थ को अभिव्यक्त किया जाता है। उनके लेखन को यथार्थवाद की अन्य श्रेणियों जैसे आलोचनात्मक यथार्थवाद , समाजवादी यथार्थवाद या आंचलिक यथार्थवाद के माध्यम से नहीं समझा जा सकता था और इसीलिए उसे जादुई यथार्थवाद के नाम से संबोधित किया गया। जादुई यथार्थवाद की अवधारणा में जादुई से ज
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हरिशंकर परसाई
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आज है 22 अगस्त यानि की हरिशंकर परसाई जी का जन्मदिन | परसाई जी ने मात्र व्यंग्य को विधा के रूप में ही पहचान नहीं दिलाई बल्कि असल में एक सम्पूर्ण 'व्यंग्य' क्या होता है उससे हमे परिचित कराया | परसाई जी का लगभग पूरा साहित्य चाहे वह कविता हो, कहानी हो, निबन्ध हो, उपन्यास हो या व्यंग्य विधा हो सब में समाज की विसंगतियों पर प्रहार करता दिखाई देता है | सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक व्यवस्थाओं में जकड़े आम जन-मानस के यथार्थ को बहुत ही गम्भीरता से परसाई जी अलग-अलग विधा में अपनी बात कहते है | परसाई जी की हास्य से भरी बातें भी ह्रदय में एक गम्भीर प्रहार करती है और हमे सोचने पर मजबूर करती है | इस अवसर पर पढ़ते है 'हास्य व्यंग'- 'भारत को चाहिए जादूगर और साधु' और कूड़ा-करकट टीम की और से परसाई जी और इनके साहित्य को सलाम जिसकी वजह से इनको आज भी याद किया और पढ़ा जाता है | 'भारत को चाहिए जादूगर और साधु' हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को मैं सोचता हूँ कि साल-भर में कितने बढ़े। न सोचूँ तो भी काम चलेगा - बल्कि ज्यादा आराम से चलेगा। सोचना एक रोग है, जो इस रोग से मुक्त हैं
●भीष्म साहनी- मानवीय संवेदना के सशक्त साहित्यकार●
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आज है 8 अगस्त यानी बहु आयामी व्यक्तित्व से सराबोर,ज़िंदादिल, खुशमिज़ाज़ बहुमुखी प्रतिभा से ओत-प्रोत तथा मानवीय पहलुओं से सरोकार रखने वाले कहानीकार,नाटककार,उपन्यासकार,रंगकर्मी और अनुवादक भीष्म साहनी का जन्मदिवस। सबसे पहले कूड़ा-करकट ब्लॉग समूह की ओर से जन्मदिवस के इस सुअवसर पर भीष्म साहनी को नमन। जैसा की आप सभी इस बात से भली-भाँती परिचित हैं की कूड़ा-करकट ब्लॉग समूह साहित्य,कला और संस्कृति से सम्बंधित सभी प्रमुख व्यक्तियों के जन्मदिवस और पुण्यतिथि के अवसर पर उनको अपने तर स्मरण करता है और आप सभी के लिए उनसे सम्बंधित अर्थात उनके द्वारा रचित मुख्य सामग्री को आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता है। तो आइए इस कड़ी में हमारे साथ और जन्मदिवस के इस अवसर पर आनंद लीजिए भीष्म साहनी द्वारा लिखित ' खून का रिश्ता 'नामक कहानी का और देखिए भीष्म साहनी से सम्बंधित कुछ चित्र जिनको संवारा है हमारे ही साथी आमिर विद्यार्थी ने- खून का रिश्ता (भीष्म साहनी) खाट की पाटी पर बैठा चाचा मंगलसेन हाथ में चिलम थामे सपने देख रहा था। उसने देखा कि वह समधियों के घर